‘स्वतंत्रता सेनानी नहीं, आतंकवादी थे भगत सिंह’ Bhagat Singh को लेकर Pakistan में विवाद

हाल ही में Pakistan में Bhagat Singh को लेकर एक नया विवाद खड़ा हुआ है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने लाहौर हाई कोर्ट में एक लिखित जवाब प्रस्तुत किया जिसमें भगत सिंह को “आतंकवादी” करार दिया गया है, न कि स्वतंत्रता सेनानी। यह बयान तब सामने आया जब भगत सिंह के सम्मान में लाहौर के शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने और उनकी प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव लाया गया था। आइए इस विवाद को गहराई से समझें और जानें कि भगत सिंह की विरासत को लेकर पाकिस्तान में कैसे विचार विभाजन हो रहे हैं।

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Bhagat Singh के खिलाफ ‘आतंकवादी’ का आरोप

लाहौर हाई कोर्ट में जमा की गई अपनी प्रतिक्रिया में, पाकिस्तान के एक सेवानिवृत्त अधिकारी, कमोडोर तारिक मजीद, ने भगत सिंह को “आतंकवादी” कहा और उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता देने का विरोध किया। मजीद ने अपने बयान में भगत सिंह द्वारा ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या का हवाला दिया, जिसे उन्होंने आतंकवादी गतिविधि बताया। उनके अनुसार, भगत सिंह के कार्य, जो उस समय में ब्रिटिश राज के खिलाफ एक क्रांतिकारी संघर्ष का हिस्सा थे, आज के संदर्भ में आतंकवाद के रूप में देखे जा सकते हैं।

Bhagat Singh के नाम पर चौक का नामकरण और प्रतिमा स्थापित करने का विरोध

शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौक रखने के प्रस्ताव के विरोध में मजीद ने यह भी तर्क दिया कि पाकिस्तान की इस्लामी परंपराओं और संस्कृति के अनुरूप यह कदम नहीं है। भगत सिंह नास्तिक थे, इसलिए उनके नाम से स्थान का नामकरण और उनकी प्रतिमा स्थापित करना धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ माना जा रहा है। मजीद का कहना है कि इस्लामी देश में किसी नास्तिक के नाम से स्थान का नाम रखना उचित नहीं है।

भगत सिंह समर्थकों की प्रतिक्रिया: एक स्वतंत्रता सेनानी और शहीद का सम्मान

भगत सिंह के समर्थकों ने पाकिस्तान सरकार के इस दृष्टिकोण की कड़ी आलोचना की है। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने कहा कि भगत सिंह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और शहीद थे जिन्होंने अपने देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान की थी। कुरैशी ने यह भी घोषणा की कि वह अदालत में सरकार के इस बयान का विरोध करेंगे और भगत सिंह को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मान देने की कोशिश करेंगे।

क्यों बना विवाद का विषय?

यह विवाद दिखाता है कि दक्षिण एशिया के इतिहास में उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष के नायक कैसे समय और सीमाओं के अनुसार अलग-अलग रूप में माने जाते हैं। भारत में जहां भगत सिंह को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रेरणास्रोत माना जाता है, वहीं पाकिस्तान में उन्हें अलग नजरिये से देखा जा रहा है। इस विवाद ने एक बार फिर से इन ऐतिहासिक पात्रों के योगदान और उनकी मान्यता पर सवाल उठाए हैं, जो विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीकों से स्वीकार किए जाते हैं।

अदालत में आगे की कार्यवाही

यह मामला अभी लाहौर हाई कोर्ट में विचाराधीन है, और जनवरी 2025 में इसकी अगली सुनवाई होनी है। इस बीच, भगत सिंह के समर्थक और पाकिस्तान सरकार के बीच विचारों का यह टकराव दक्षिण एशिया में स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की पहचान और उनके योगदान के सवाल को उठाता है।

निष्कर्ष

भगत सिंह को लेकर पाकिस्तान में जो विवाद उठ खड़ा हुआ है, वह इस बात का प्रतीक है कि कैसे इतिहास की अलग-अलग व्याख्याएं और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण ऐतिहासिक शख्सियतों को लेकर अलग-अलग धारणाएं बना सकते हैं। यह विवाद आने वाले समय में भगत सिंह के सम्मान और विरासत को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा का कारण बनेगा।

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